बिहारवासियों की अप्रिय रोहिणी बहन और कुपुत्री,
तुम्हारे विवाह में ही पटना के कार शोरूमों के ताले तोड़कर दर्जनों नई गाड़ियाँ उड़ा ली गई थीं ना? तुम्हारे पिता और उसके गुंडों का ही आतंक था ना, जिसके कारण शोरूमों के मालिकों ने शिकायत लिखवाने से मना कर दिया था? यहाँ तक कि उन्होंने तो यह भी नकार दिया था कि ऐसी कोई लूटपाट हुई भी थी। उन्हें पता था कि पुलिस शिकायत तो दर्ज नहीं ही करेगी, उल्टे उन लोगों को ही फँसा देगी, और उस उद्दंडता का दंड फिर मार-पीट और हत्या से भी दिया जायेगा। ठीक वैसे ही जैसे एक आईएएस अधिकारी की पत्नी, उसकी वृद्ध माँ, और नौकरानी का दो वर्षों तक तुम्हारे पिता के गुंडों ने सरकारी गेस्ट-हाऊस में बलात्कार किया। तीन-चार बार गर्भपात कराना पड़ा। पर ना तो पुलिस थाने ने और ना ही पुलिस के बड़े अधिकारियों ने कोई कदम उठाने का साहस किया। बेचारा इस्तीफ़ा देकर अपने गृह राज्य चला गया।
आम आदमी, व्यापारियों और किसानों के तो क्या कहने? दर्जन भर नरसंहारों में गाँव-के-गाँव घेर कर तुम्हारे पिता के द्वारा प्रोत्साहित और पोषित सेनाओं ने सैकड़ों हत्याएँ की। सिर्फ़ गोली नहीं मारी, बल्कि बापों और भाइयों के सामने माताओं और बेटियों का बलात्कार कर बर्बरतापूर्वक मार डाला। बेटों की जान ही नहीं ली, माँ-बाप के सामने उनका पेट फाड़कर अँतड़ियाँ बिखेर दीं। व्यापारियों की दुकानों पर क़ब्ज़ा कर लिया, लोगों को बेदख़ल कर उनके घर छीन लिये। जिसने ज़रा भी विरोध किया उसकी दिन-दहाड़े हत्या कर दी। हज़ारों व्यापारी अपनी धन-सम्पत्ति छोड़कर रातों-रात भाग गये, ठीक वैसे ही जैसे कश्मीरी हिंदू भागे थे। पर बिहार में कोई धार्मिक उन्माद नहीं था, एक दो जातियों को लूट-पाट की खुली छूट और सरकारी तंत्र से संरक्षण मिला था। लोगों ने क़र्ज़ लेकर, ज़मीन-जायदाद बेचकर अपने बेटे-बेटियों को राज्य के बाहर पढ़ने भेज दिया। पता नहीं किस दिन बेटी उठा ली जाए जैसे शिल्पी जैन को तुम्हारे पिता के गुंडों ने उठाया, उसका बलात्कार किया और मार डाला। पता नहीं कब बेटे का अपहरण हो जाए और मुजफ्फरपुर के पाँच साल के मासूम गोलू की तरह पाँच टुकड़ों में उसका सड़ता हुआ शव मिले?
रबड़ीपुत्री रोहिणी,
जिस प्रकार पिता द्वारा कमाई संपत्ति और माँ द्वारा दिये संस्कार संतानों के जीवन की दिशा तय करते हैं, उसी प्रकार माँ-बाप और चाचा-मामाओं के पापों का फल भी संतति को भोगना ही पड़ता है। तुम्हारा और तुम्हारी बहनों का नर्कवास अभी शुरु ही हुआ है। जिस प्रकार तुम्हारे पिता के घर से एक बहू को मार-पीट कर, बालों से घसीटकर, बाहर फेंका गया था, क्या तुम्हें चप्पल मारकर निकाले जाने का दिन उसी समय तय नहीं हो गया था? क्या हज़ारों-हज़ार दु:खी आत्माओं की हाय की ज्वाला सिर्फ़ आरजेडी की चुनावी हार से बुझेगी?
नहीं लालूपुत्री,
तुम भाई-बहन अपने पिता के कुकृत्यों के ना सिर्फ़ साक्षी हो, बल्कि उसके लाभार्थी भी हो। हर मोटा-थुलथुल भाई भोला और हास्य-पसंद नहीं होता। तुम्हारे जिस भाई ने अपने बड़े भाई-भाभी को, ओर अब तुम बहनों को निकाल-बाहर किया है, यह उसकी घटिया परवरिश का ही प्रमाण है। क्या इसी पाप की परवरिश को बिहार की जनता अपना नेता चुनने वाली थी? सोचकर ही मन सिहर उठता है। खैर उसके पापों का फल वह नहीं तो उसके बच्चे भुगतेंगे। पर तुम्हारा वही भाई अपने माता-पिता के साथ शीघ्र ही कारावास को प्राप्त होगा।
कहते हैं मनुष्य का स्वर्ग और नर्क, दोनों इसी धरती पर हैं। यह सिद्धांत साक्षात् सिद्ध होता दीख रहा है। कर्म किसी को नहीं छोड़ता, बस अपने समय से प्रकट होता है। यह ना समझो कि तुम्हारे परिवार का बुरा वक्त निकल गया। अभी तुम्हारे परिवार को अनेक कष्ट भोगने हैं। ईश्वर करे तुमलोगों को सुबुद्धि प्राप्त ना हो। मेरी कोई सहानुभूति लालू परिवार के साथ नहीं है, सिर्फ़ शाप और नफ़रत है। मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि कर्म के चक्र में व्यवधान ना डालें। ईश्वर से यह भी प्रार्थना है कि लालू यादव को लंबी ज़िंदगी दें ताकि तुम्हारे पिता जीते जी ही नर्क का संपूर्ण भोग कर पायें।
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Karma is a bitch. Every bad deed, every moment of malice, is meticulously logged. The universe is watching, and it has an enforcer.
ReplyDeleteHe is Shani, the Karmaphal Daata, the dispenser of results. He keeps track of every good and every bad action, ensuring balance.
On will not escape the tally. One must pay your debt in this lifetime. The consequence—the bite-back—is an absolute, inescapable reality.
Very correct.
ReplyDeleteApt
ReplyDeleteHorrifying details of atrocities. Such atrocities are being committed since ages. During last about 100 years Malabar massacre of Hindu men and children and rape of countless women; Direct Action Day in Bengal, gory killings and rape of women during partition; massacre of Sikhs during 1984; massacre and rape of Hindu women in Kashmir have taken place and this is all documented in various books, but today’s generation doesn’t know anything about these and many consider them as fiction. This Bihar jungle RJ is also forgotten and many already consider it as fiction or just allegations due to party rivalry. It is essential that each of these incidents is documented with dates and exact locations, although it is very difficult as victims wont come forward. The overactive judiciary takes cognisance of petty cases especially against authorities to assert their supremacy, but doesn’t dare to do anything against goondas.
ReplyDeleteAbove comments are by Ved Pal from Noida, but are somehow shown as anonymous.
DeleteCorrect. We tend to whitewash bad memories for our political correctness.
ReplyDeleteCorrect. We tend to whitewash bad memories for our political correctness.
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दिल के उद्गार
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