Tuesday 10 October 2023

क्या आपका उल्लू भी टेढ़ा है?

मेरे पास कोई उल्लू-वुल्लू नहीं है। फिर मैं कैसे बताऊँ कि सीधा है या टेढ़ा? पर उल्लू सीधा करना एक आम शग़ल प्रतीत होता है; जिसे देखो वो या तो अपना उल्लू सीधा करने में व्यस्त हैं या किसी को परामर्श देने में कि उल्लू सीधा कैसे करते हैं।

एक दिन दफ़्तर में बड़े बाबू झुँझलाये-से बैठे थे। पूछने पर बोले, “क्या बताऊँ, इस दफ़्तर में जिसे देखो अपना उल्लू सीधा कर रहा है। एक मैं ही हूँ जो सुबह से शाम तक सिर झुकाये काम करता रहता हूँ।” मैंने ग़ौर से चारों ओर देखा, फिर टेबुलों के नीचे झाँका, और फिर धूलभरी आलमारियों के पीछे भी तलाशा। पर न तो कोई उल्लू दिखा, न ही उल्लू सीधा करता हुआ कोई साथी-कर्मचारी। और तो और, उल्लू सीधा करने का कोई यंत्र भी नज़र नहीं आया।

मैंने बड़े बाबू से पूछा कि मुझे तो कोई भी कर्मचारी उल्लू सीधा करता नहीं दीख रहा है। अलबत्ता, बड़े साहब ज़रूर अपने केबिन में किसी और भी बड़े अफ़सर की  चापलूसी में लगे थे, “सर, ये गुलाब जामुन ट्राई कीजिये, दत्ता हलवाई के यहाँ से ख़ास आपके लिये मँगवाई है। सर, ये शॉल मैंने मैडम के लिये स्पेशल बनवाई है भागलपुर के कारीगर से।” बड़े बाबू बोले, “तुम्हारी नज़र पैनी हो रही है। तुमने ठीक पकड़ा, बड़े साहब उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी सफलता नहीं मिली है।”

मैंने फिर पूछा कि कैसे पता चलेगा कि बड़े साहब का उल्लू सीधा हो गया है? बड़े बाबू ने समझाया कि जब साहब का ट्राँसफ़र प्रोजेक्ट ऑफ़िस में हो जायेगा और तुमको लड्डू बँटेगा, तब समझ लेना कि उनका उल्लू सीधा हो गया। अब जाओ, मेरा सिर मत खाओ। अपना काम करो, और मुझे मेरा काम करने दो।

मैं समझ गया कि बड़े-साहब का उल्लू कमाई वाली जगह पर पोस्टिंग से सीधा होता है। मेरा उल्लू लड्डू खाकर ही सीधा हो जाता है। जो जितना बड़ा, उसका उल्लू उतना ही टेढ़ा। मैं झटपट बड़े बाबू के पास पहुँचा और बोला कि अच्छा हुआ कि मैं कोई बड़ा अफ़सर नहीं बना। मुझसे तो उतना टेढ़ा उल्लू क़तई ना सीधा हो पाता। मैं तो लोअर डिविज़न क्लर्क ही सही। कालूराम चपरासी को बोलकर चाय मँगवा लेता हूँ, उतने में ही मेरा उल्लू सीधा हो जाता है। बड़े बाबू मेरी ओर देखकर मुस्कुराये और फिर फ़ाईल में नोटिंग बनाने लगे। 

तब से मैंने दिन में दो बार चाय मँगवानी शुरु कर दी है। कालूराम को भी पिलानी पड़ती है। पर दिन में दो बार अपना उल्लू सीधा कर लेता हूँ और ख़ुश रहता हूँ। इससे ज़्यादा महत्वाकांक्षा मेरे लिये टेढ़ी खीर है। टेढ़ी खीर के बारे में फिर कभी।

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