Wednesday, 5 January 2022

मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है

मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है

एतना पढ़ाई सब जियान हुआ

राते-राते पढ़ के बिहान हुआ

पर खजूर का पेड़ का छाया नहीं है

मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है


बड़का-बड़का डिग्री लेके जे चहकते हैं

अब दोस्तवन को दूरे से झटकते हैं

तरकारी  पका हुआ लउकता है

लेकिन मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है


जबसे अफ़सर बने मुँह नहीं लगाते हैं

लंगोटिया यार को परिचित बताते हैं

रिस्तेदारी में भी किसी को सटाया नहीं है

काहे कि मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है


सुने थे बिद्या से आदमी अऊर लपता है

घड़वा भरे से पानी कम छलकता है

लेकिन आप  सगरो नवाबी छितराये हैं

जबसे सस्ता में साहेबियत पाये हैं

अरे अभी भी सब अपना है पराया नहीं है

लगे है मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है


बड़ा पोस्ट पाने से आदमी अऊर चमकता है

चारों ओर खुसहाली का रोसनी दमकता है

लेकिन आप  अपने में घुसल जात हैं

आपसे  मिलने में भाई-बहिन घबरात हैं

लगता है कड़ाही को गरमाया नहीं है

काहे कि मसाला ठीक से भुंजाया नहीं है


मसाला भूंजने से खुसबू ठीक आता है

खाने का थरिया में तबहियें मज़ा आता है

मेहनत करे से मिलता है तब्बे सबको भाता है

पैरवी-डोनेसन का सॉर्ट कट चिढ़काता है

इसीलिये आपका क़द हमको भाया नहीं है

सायद मसाला कच्चा है भुंजाया नहीं है


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