Wednesday, 15 November 2017

मेरा राज्य बिहार

भारत के प्राचीन देश में मेरा राज्य बिहार

सबसे पहले यहीं बनी थी प्रजातंत्र सरकार

प्रजातंत्र सरकार विश्व की पथप्रदर्शिका

संस्कृति की मानवता की मार्गदर्शिका


यही बिहार का राज्य रहा जो विश्वगुरु कहलाता था

विक्रमशिला और नालंदाज्ञान से गहरा नाता था

जब किंतु वे नष्ट हुए उबर नहीं पाया अबतक

क्लांतिहीन हो गया राज्य जो ज्ञानपुंज का था रक्षक


नये देश ने उत्साहित हो बागडोर सँभाली थी

जैसे ही इस अँधियारे में राह निकलने वाली थी

तभी डँस गया नाग विषैला फिर घेरा अँधियारे ने

सूखा ठूँठ बस बचा जहाँ फूलों की सुंदर डाली थी


छात्र हुए हैं दिशाहीनशिक्षक कर्त्तव्य से स्खलित हुए

मात-पिता अति चिंतित हैंसंतान-व्यथा से गलित हुए

याद करो मागधवैशाली और जनक के वैभवकाल

गंगा से सिंचित ये धरती क्यों होती रहती बेहाल


लूट-खसोट और धमकी-बलवे दिनचर्या में आम हुए

अपहरणफिरौतीबेदख़ली और कितने क़त्लेआम हुए

भ्रमित-भयातुर जन पशुओं की भाँति दुबके बैठ रहे

जातिवादलालचहथियार प्रजातंत्र के दाम हुए


भ्रष्टाचारनिष्कर्मनिरर्थक शासनकुछ ना होता है

बेबसमूक नागरिक बस अपनी क़िस्मत को रोता है

भई किसान की भूमि सूखी जो वृष्टि ने आँखें फेरीं

हर ग़रीब और हर किसान क़र्ज़ों का बोझा ढोता है


बुद्धमहावीर की धरती तनिक शांति को रोती है

मॉं अपने बच्चे क़िस्मत पर जगती ना सोती है

रक्षक भक्षक बन बैठेअपनी रोटी हैं सेंक रहे

जनता वहीं चिता से लगकर ख़ाली पेटों सोती है

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