Thursday 13 October 2016

आलू की फ़ैक्टरी

चीन में चावल फ़ैक्टरी में बनता है। वहॉं का प्लास्टिक का चावल, दुनिया भर में चल रहा है। लोगों को फैक्टरी में बने चावल से कोई पोषण नहीं मिलता, उल्टे स्वास्थ्य की हानि होती है। फिर मैं पूछता हूँ कि अच्छा-भला आलू फ़ैक्टरी में क्यों नहीं बन सकता? क्या सारा अनुसंधान, सारी रचनात्मकता चीन में ही संभव है?


जब क्रिकेट की गेंद फ़ैक्टरी में बन सकती है, फ़ुटबॉल और ग़ुब्बारे फ़ैक्टरी में बन सकते हैं तो मिलती-जुलती शक्ल और आकार के आलू क्यों नहीं बन सकते? एक ओर सारा सरकारी तंत्र मेक-इन-इंडिया के नारे लगा रहा है, कारख़ानों में विदेशी पूँजी का आवाहन कर रहा है, और आप हैं कि एक भले आदमी पर तंज कसे जा रहे हैं। भाई साहब, कारख़ानों में कुशल मज़दूर लगते हैं, ऊँची पगार माँगते हैं और सबसे पहले उनका स्किल-डेवलपमेंट करना पड़ता है। इन सबमें समय लगता है, पूँजी लगती है। आलू का निर्माण राष्ट्र-निर्माण का आसान और सस्ता उपाय है। बस आलू की फ़ैक्टरी लगाइये और ग़रीब दुखियारे किसानों को झोंक डालिये। फिर देखिये, जो किसान कल तक तुरई और ककड़ी की फ़ैक्टरी में अपने जलवे दिखाता था, तुरत-फुरत आलू का निर्माण करने लगेगा। हर्र लगे ना फिटकरी रंग चोखा आए।


मैं तो कहता हूँ कि हर नागरिक अपने आँगन में एक आलू की फ़ैक्टरी डलवा ले। दिन में दफ़्तर में कलम घिसे और सेकेंड शिफ़्ट में घर में ही आलू की असेंम्बली लाइन पर काम करे। एक तरफ़ सेलूलोज़, यूरिया, पोटाश और पुराने कपड़े, रद्दी काग़ज़ डालिये और दूसरी तरफ़ से गोल-गोल सुंदर, सुगठित आलू प्राप्त कीजिये। इधर श्रीमती जी ने कहा कि आलू ले आओ, और आप बोल पड़े, "अभी लो, भागवान। ज़रा आलू का साइज़ बता दो - सब्जी़ बनानी है या चिप्स तलने हैं? भर्ता बनाना है तब तो कोई भी साइज़ चलेगा। कल का रिजेक्टेड माल पड़ा है, कहो तो ले आऊँ?"


भारतीयों की जुगाड़-बुद्धि पर भरोसा रखें, श्रीमान! जल्दी ही, लौकी, करेले और पालक बनाने की मशीन भी बना डालेंगे। बल्कि मैं तो शर्त लगाने को तैयार हूँ कि टू-इन-वन और थ्री-इन-वन मशीनें भी अब दूर नहीं। एक ही फ़ैक्टरी सुबह आलू बनाएगी और दूसरी पाली में टमाटर। और आप हैं कि हँसे जा रहे हैं। हम सिर्फ़ आलू की फ़ैक्टरी लगाएँगे, बल्कि आलू बनाने की मशीनों का निर्यात भी करेंगे। फिर देखियेगा, विश्व में भारत-जनित ब्राउन-रिवॉल्यूशन का कमाल


http://althealthworks.com/7761/plastic-rice-from-china-is-real-and-it-can-cause-serious-health-problemsyelena/

2 comments:

  1. why not it is possible.... bas poori mehnat aur lagan k sath kam karna padega shuruaat me.... fir dekho heeng lage na fitkari... rang bhi chokha avega.... kyu mai koi jhooth boliya...nahi naaa.....

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  2. Sir, you are at your sarcastic best. Next it may be anything, from brinjal to baingan to byaz. Coming to the number of your blog posts, I see that during your stay at Salem, there were more postings than before and after. So, I think you were at your creative best as well during your tenure at Salem. We would be happy to have you back at the helm of affairs at SR sooner than later.

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